Sikandar Ka Muqaddar: Netfilx पर हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म “Sikandar Ka Muqaddar” (2024), नीरज पांडे द्वारा निर्देशित एक डकैती थ्रिलर है। फिल्म में मुख्य भूमिका में अविनाश तिवारी हैं, जिनके साथ जिमी शेरगिल, तमन्ना भाटिया, दिव्या दत्ता और राजीव मेहता भी नजर आते हैं। यह फिल्म एक पुलिस अधिकारी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक चोरी के केस की जांच करता है और इस जांच के दौरान वह एक अजीब अपराध की दुनिया में फंस जाता है। फिल्म में सस्पेंस और ट्विस्ट की भरमार है, जो दर्शकों को अंत तक बांधे रखती है। आइए जानते हैं इस फिल्म की कहानी, अभिनय और कमजोरियों के बारे में।

कहानी का सार
Sikandar Ka Muqaddar की कहानी एक पुलिस अफसर के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक डकैती के केस की जांच करता है। इस केस की जांच करते-करते वह कुछ ऐसे राज़ और अपराधी नेटवर्क का सामना करता है, जो उसकी पूरी जिंदगी बदल देते हैं। जैसे-जैसे वह केस में आगे बढ़ता है, उसकी नज़दीकियां और संघर्ष गहरे होते जाते हैं, और वह अपने ही जीवन के महत्वपूर्ण फैसलों पर सवाल उठाता है। फिल्म में कई ट्विस्ट्स हैं, जो कहानी को दिलचस्प बनाते हैं।
हालांकि, फिल्म की कहानी अच्छी है, लेकिन कहीं न कहीं यह कुछ पुराने थ्रिलर शैलियों को दोहराती हुई महसूस होती है। दर्शक कुछ पुराने क्लिच का सामना करते हैं, जिससे फिल्म का प्रभाव थोड़ा कम हो जाता है।
अभिनय
अविनाश तिवारी, जो इस फिल्म में मुख्य भूमिका में हैं, अपनी भूमिका में बहुत अच्छे लगे हैं। उनका अभिनय बहुत गहरा और प्रभावी है, जो फिल्म की कहानी को मजबूती देता है। उन्होंने अपनी भूमिका को पूरी तरह से जिया है और फिल्म की भावनाओं को अच्छे से प्रदर्शित किया है।
वहीं, जिमी शेरगिल जैसे मंझे हुए अभिनेता को इस फिल्म में अपनी पूरी क्षमता दिखाने का मौका नहीं मिला। उनका किरदार काफी सीमित था और फिल्म में उनका प्रभाव उतना नहीं दिखा जितना कि दर्शक उनसे उम्मीद करते हैं। दिव्या दत्ता का किरदार भी बहुत छोटा था और उनका प्रदर्शन इस फिल्म में ज्यादा प्रभावी नहीं था। तमन्ना भाटिया का किरदार भी सामान्य था और फिल्म में उनका योगदान बहुत कम था।
निर्देशन और स्क्रिप्ट
नीरज पांडे ने इस फिल्म का निर्देशन किया है, और उनकी फिल्मों में जो खास बात होती है, वह इस फिल्म में कम दिखाई दी। नीरज पांडे की फिल्मों में एक खास तरह की ताजगी और थ्रिल होता है, लेकिन इस फिल्म में यह कमी महसूस हुई। फिल्म की स्क्रिप्ट थोड़ी कमजोर रही, और फिल्म में कई जगहों पर ओवर-ड्रामा और सस्ते ट्विस्ट्स थे। कुछ घटनाओं को ऐसे तरीके से दिखाया गया है जो बहुत अवास्तविक लगते हैं। उदाहरण के तौर पर, फिल्म की केंद्रीय डकैती का प्लान और सुरक्षा प्रणाली को जिस तरह से दिखाया गया है, वह काफी अविश्वसनीय और सामान्य लगता है।
कहीं न कहीं, फिल्म की राइटिंग में भी कमी रही, और यह ठीक से दर्शकों के बीच भावनात्मक जुड़ाव बनाने में नाकामयाब रही। फिल्म के कुछ हिस्से तो अच्छे थे, लेकिन कुल मिलाकर यह उतनी प्रभावी नहीं हो पाई जितनी एक अच्छे थ्रिलर से उम्मीद की जाती है।
तकनीकी पक्ष
फिल्म की प्रोडक्शन वैल्यूज़ अच्छी हैं, और सिनेमैटोग्राफी भी ठीक-ठाक है। थ्रिलर फिल्मों में जो माहौल जरूरी होता है, वह फिल्म में काफी हद तक दिखता है। बैकग्राउंड म्यूजिक भी ठीक था, जो फिल्म के सस्पेंस को बढ़ाने में मदद करता है। हालांकि, फिल्म की गति कभी-कभी धीमी हो जाती है, जिससे दर्शक थोड़े बोर हो सकते हैं।
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Sikandar Ka Muqaddar कमजोरियां
इस फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी इसका अवास्तविकता से भरा हुआ प्लॉट और घटनाओं का तार्किक ढंग से न होना था। डकैती के दौरान सुरक्षा की लापरवाही और कई और चौंकाने वाले ट्विस्ट्स ने फिल्म की सच्चाई को कम कर दिया। कई जगह पर ऐसा लगता है कि फिल्म अपनी असलियत खो बैठी है और एक सस्ते टीवी शो जैसी दिखने लगती है।
Sikandar Ka Muqaddar निष्कर्ष
कुल मिलाकर, “Sikandar Ka Muqaddar” एक औसत थ्रिलर फिल्म है। नीरज पांडे के नाम पर जो उम्मीदें थीं, वह पूरी नहीं हो पाईं। फिल्म की कहानी, अभिनय और निर्देशन में बहुत कुछ कमी महसूस होती है। अगर आप एक सस्पेंस फिल्म के शौक़ीन हैं तो यह फिल्म शायद आपको उतनी प्रभावित न करे जितना कि आप चाहते हैं। हालांकि, अगर आप अविनाश तिवारी के फैन हैं, तो उनकी एक्टिंग जरूर आपको पसंद आएगी।
रेटिंग: 2.5/5
अगर आप थ्रिलर फिल्मों के शौक़ीन हैं, तो यह फिल्म आपके लिए बहुत खास नहीं है। आप इसे एक बार देख सकते हैं, लेकिन अगर आप एक अच्छे और दिलचस्प थ्रिलर की तलाश में हैं, तो यह फिल्म निराश कर सकती है।